Amarnath Yatra 2024: अमरनाथ गुफा का असली सच जानकर चौंक जाएंगे
इस गुफा को सबसे पवित्र गुफा माना जाता है, यह वही गुफा है जिसमें भगवान शंकर ने भगवती पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। अतः आसान भाषा में यह भी कह सकते हैं कि अमरनाथ की गुफा वह स्थान है जहां भोलेनाथ ने माता पार्वती को अमर होने का गुप्त रहस्य बताए थे। पूरी तरह से प्रकृति की हम से बने होने की कारण इन्हें ” ‘हिमानी’ ‘शिवलिंग’ या ‘बर्फानी’ बाबा भी कहा जाता है।”
Amarnath Yatra 2024
यह कथा भगवती पार्वती तथा भगवान शंकर के बीच हुआ एक संवाद है।
जाने अमरनाथ की अमर कथा का रहस्य,:
केदारनाथ से आगे है अमरनाथ और उससे आगे है कैलाश पर्वत। जिसे हम कैलाश मानसरोवर के नाम से भी जानते हैं, कैलाश पर्वत के समीप कैलाश मानसरोवर नाम का एक झील भी है। कैलाश पर्वत शिवजी का मुख्य समाधि स्थल होने का स्थान है, और बाबा केदारनाथ विश्राम भवन। हिमालय का कड़कड़ शिव शंकर का स्थान है। कहां जाता है कि बाबा अमरनाथ को आजकल स्थानीय मुस्लिम लोगों के प्रभाव के कारण, बर्फानी बाबा भी कहा जाता है। जो कि जो कि यह बात सत्य भी है। और सदा अनुचित है। उन्हें बर्फानी बाबा इसलिए कहा जाता है कि उनके स्थान पर प्राकृतिक रूप से बर्फ की शिवलिंग बन जाता है।
बाबा अमरनाथ कथा: माता पार्वती जिन्हें हम सती के नाम से भी जानते हैं, सती ने दूसरा जन्म हिमालय राज्य के यहां पार्वती के रूप में लिया। पहले जन्म में वह दक्ष की पुत्री थी और दूसरे जन्म में वह दुर्गा बनी। एक बार पार्वती जी ने भगवान शंकर जी से पूछा, मुझे इस बात का बड़ा आश्चर्य है कि आपकी गले में नरमुंड माला क्यों है? भगवान शिव शंकर ने बताया, जितनी बार तुम्हारा जन्म हुआ है उतने ही मूड मैं धारण किए हैं।
माता सती बोली, मेरा शरीर नासवान है, मृत्यु को प्राप्त होता है, परंतु आप तो अमर हैं, इसका कारण बताने का कष्ट करें। और वह भी बोल पड़ी मैं भी अजर अमर होना चाहती हूं?
भगवान शंकर जी ने कहा, यह सब अमरनाथ के कारण है।
तथा यह सुनकर माता पार्वती जी ने भगवान शंकर जी से कथा सुनने की विनम्र आग्रह किया। बहुत वर्षों तक भगवान शिव ने इसे डालने का प्रयास किया लेकिन जब पार्वती जी की जिज्ञासा बढ़ गई तब उन्हें लगा कि अब कथा सुना देना चाहिए।
लेकिन समस्या यह थी कि अमरनाथ की कथा सुनाते समय कोई अन्य जीव जंतु कथा को ना सुन पाए, और इसीलिए भगवान शिव ने पांच तत्व ( जलवायु आकाश पृथ्वी और अग्नि ) का परित्याग करके इन पर्वत मालाओं में पहुंच गए और अमरनाथ जी की गुफा में भगवती पार्वती जी को अमरनाथ की कथा सुनाने लगे।
भगवान शिव अमरनाथ गुफा जाते वक्त इनका त्याग दिया–
जब भगवान शिव अमरनाथ गुफा की ओर जाते समय सर्वप्रथम उन्होंने पहले पहले काम पहुंचे, जहां पर उन्होंने सबसे पहले नंदी जी का पर त्याग कर दिया। अब उसके बाद वह आगे बढ़े और चंदनवाड़ी में पहुंचे जहां पर उन्होंने अपनी जाता से चंद्रमा को मुक्त कर दिया। कुछ ही समय बाद आगे जाने के बाद शेष नाग नामक एक झील दिखाई दिया जहां पर पहुंचकर उन्होंने अपने गले से सांपों को भी उतार दिया। अब उनके पास केवल उनके प्रिय पुत्र श्री गणेश जी को भी उन्होंने महागुनस पर्वत पर छोड़ देने का निश्चय किया। फिर पंचतरणी पहुंचकर शिवजी ने पांचो तत्वों का परित्याग किया। अब सब कुछ छोड़कर अंत में भगवान शिव ने इस गुफा में प्रवेश किया जिसका नाम अमरनाथ गुफा है और साथ में पार्वती जी को अमरनाथ कथा सुनाने लगे।
Amarnath Yatra distance – 36 – 48km
Amarnath Yatra 2024 date : अमरनाथ यात्रा 2024 तारीख-
अमरनाथ यात्रा की तारीख गुफा की देखभाल करने वाले अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा तय की जाती है। 2024 में मौसम और मानसून के हिसाब से यात्रा शुरू की जाएगी, कुछ अनुमानित तिथि सामने आई है जिनमें से 1 जुलाई से लेकर 11 अगस्त के बीच शुरू होगी अमरनाथ की यात्रा सबसे अच्छा समय यही है।
अमरनाथ गुफा की कहानी क्या है-
इस पवित्र गुफा में भगवान शिव ने भगवती सती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था इसको तत्व ज्ञान को अमरनाथ के नाम से भी जाना जाता है, कई बार इसे स्थानीय भाषा में बर्फानी बाबा भी कहते हैं, इसीलिए इस स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा। भगवती पार्वती तथा भगवान शिव के बीच हुआ संवाद है, यह उसी तरह से है जिस तरह भगवान श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच संवाद हुआ था।
अमरनाथ गुफा का क्या महत्व है–
अमरनाथ गुफा को अमरेश्वर भी कहते हैं और माना जाता है कि स्थानीय भाषा में बर्फानी बाबा भी कहते हैं, और यह भी कहा जाता है कि बर्फानी बाबा के दर्शन करने से मानव को मोक्ष की प्राप्ति होती है, अमरनाथ गुफा में शिवलिंग के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की संरचना बनाई जाती है इस वजह से हिंदू धर्म में अमरनाथ गुफा का एक अलग ही महत्व है।
Amarnath Yatra helicopter fees-16500 rs per person
अमरनाथ गुफा में शिवलिंग कैसे बनता है-
कहा जाता है की गुफा में बर्फीले पानी की बूंदे लगातार टपकती रहती है इन्हीं बूंद से लगभग यहां बर्फ का शिवलिंग बन जाता है यह शिवलिंग पूरी तरह प्रकृति के समरूप प्राकृतिक रूप से ही बनता है, और ऐसा हर साल होता है। जैसे कि स्थानीय भाषा में बर्फानी बाबा भी कहते हैं।
अमरनाथ गुफा की खोज कब हुई-
बहुत पुरानी बात है एक बूटा मलिक नामक एक मुस्लिम गडरिया ने 1850 में अमरनाथ की गुफा की खोज की थी एक दिन अपनी भीड़ चलते-कैरेट बहुत दूर निकल गया ऊपर पहाड़ पर उसकी भेट एक साधु से हुई कहा जाता है कि बूटा विनम्र और दयालु स्वभाव से प्रसन्न होकर उसे साधु ने बूटा को एक कोयले से भरा पत्र दिया। मलिक ने जब घर जाकर उसे कांगड़ी को देखा तो उसे पत्र में कोली की जगह सोना भरा हुआ था। बूटा मलिक यह देखकर बहुत खुश हुआ और हैरान भी। फिर भी उसने शादी तू को अपना प्रणाम किया और धन्यवाद कहने लगा। लेकिन जब बूटा वहां दोबारा गया तो वहां जाकर देखा तो साधु तो वहां नहीं था लेकिन गुफा जरूर वहां थी। और यह पहला इंसान है जिन्होंने पहली बार उसे गुफा को देखा था। बूटा मलिक जब उसे गुफा के अंदर पहुंचा तो वहां बर्फ से बनी हुई एक शिवलिंग दिखाई दी। जो दूर से देखने पर काफी ज्यादा चमक रही थी, और यहां अद्भुत नजारा देखकर वह मन ही मन शांत हो गया। और इस घटना के करीब तीन से चार वर्ष बाद अमरनाथ यात्रा शुरू हुई। और यह भी कहा जाता है कि बूटा मलिक के वंशज आज भी इस गुफा की देखरेख करते हैं।
अमरनाथ में 2 कबूतर क्यों होते हैं-
दोस्तों शायद आपने भी ऐसी कहानी जरूर सुनी होगी कि बाबा अमरनाथ में दो कबूतर हमेशा देखने को मिलते हैं, लेकिन जो भाग्यशाली होता है उन्हीं को दिखाई देता है। कबूतरों की जोड़ी गुफा में ही थी और उन्होंने शिव की अमर कथा को सुना और अमृत प्राप्त की है , कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता पार्वती को कथा सुना रहे थे तब यह दोनों कबूतर वहीं पर थे। जिससे कि यह दोनों कबूतर के जोड़े ने वह सारी कथा सुन ली और यह भी अमर हो गए। इसीलिए अमरनाथ यात्रा के दौरान गुफा में सफेद कबूतर के जोड़े को देखना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
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